विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत जारी है कृषि संवाद कार्यक्रमों का आयोजन, किसानों को खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली फसलों के बारे में दी जा रही है महत्वपूर्ण जानकारियां,

विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत जारी है कृषि संवाद कार्यक्रमों का आयोजन,
किसानों को खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली फसलों के बारे में दी जा रही है महत्वपूर्ण जानकारियां,
VR Media Himachal
नाहन। केंद्रीय कृषि मंत्रालय और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा पूरे देश में चलाए जा रहे ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंर्तगत कृषि विज्ञान केंद्र, सिरमौर , कृषि विभाग एवं आत्मा द्वारा जिला सिरमौर के विभिन्न गांवों पूरूवाला, चंदपुर, सालवाला, चांदनी, कोटला मोलर, पनार, पाब, कोटी धीमान, डीयादों, बहराल, शिवपुर, फूलपुर, मुशवा, जमता, नेहली धीरा, अंधेरी, कंडी,लफ़योग टिकरी में कृषि संवाद कार्यक्रम अयोजित किए गए। इसमें एक हजार से अधिक किसानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर केंद्र के प्रभारी डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि केंद्र के विज्ञानियों के साथ साथ कृषि विभाग, आत्मा के अधिकारी भी किसानों से सीधा संवाद करने के साथ आने वाले खरीफ सीजन के बारे में परिचर्चा कर रहे है और
सरकारी योजनाओं-प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दे रहे है। इस अवसर पर अधिकारियों द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं, प्राकृतिक खेती, उच्च तकनीक बागवानी, पशुधन प्रबंधन और अनुदानों की जानकारी दी गई। साथ ही, किसानों को विभागीय योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाले सहायता अनुदान, प्रशिक्षण एवं क्लस्टर विकास के बारे में जागरूक किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गए और किसानों के साथ सीधा संवाद स्थापित कर उनके सवालों के उत्तर भी दिए गए। इस संवादात्मक सत्र में किसानों ने अपनी समस्याएं भी साझा की, जिन पर अधिकारियों ने समाधान सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।
यह एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य कृषि को टिकाऊ, आधुनिक और किसानों की आय बढ़ाने वाली बनाना है। यह अभियान विकसित भारत-2047 दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत किसानों को नवीनतम तकनीकों, प्राकृतिक खेती और सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है। इस अभियान के तहत कृषि विज्ञान केंद्रों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से किसानों को उन्नत कृषि पद्धतियों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे न केवल कृषि क्षेत्र में समग्र विकास और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो सके बल्कि जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का भी सफलतापूर्वक सामना कर सकें।

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